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वैष्णव मैरिज ब्यूरो-चतुः संप्रदाय

समाचार

शास्त्रोक्त प्रशिक्षण लेने का सुनहरा मौका

आदरणीय सज्जनों, यदि आप अपने परिजनों में से किसी को गुरुकुल पद्दत्ति से शास्त्रोक्त विधी से पूजा, पाठ, यज्ञ, अनुष्ठान, हवन शांति, रुद्राभिषेक, श्रीमद्भागवत, रामायण कथा वक्ता, हस्त रेखा सहित संगीत शिक्षा ग्रहण कराना चाहते हैं तो आप हमसे अवश्य संपर्क करें, मात्र 3 से 4 सप्ताह की अवधि का प्रशिक्षण प्राप्त कर कोई भी …

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वैष्णव-जन की दुनियां

जितनी बुरी कही जा रही उतनी बुरी नहीं है दुनियां बच्चों के स्कूल में शायद तुमसे मिली नहीं है दुनियां जैसी तुम्हें दिखाई दी है वही नहीं है सबकी दुनियां प्रेम भाव से इसे सजाओ सत्संग में तुम खोजो दुनियां यूं लगता है जैसे तुमसे हिल-मिल कर नहीं चलती दुनियां दौड़ रही है नभ के …

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समता – गीता

श्रेयो हि ज्ञानमभ्यासाज्ज्ञानद्ध्यानं विशिष्यते। ध्यानात्कर्मफलत्यागा त्यागाच्छान्तिरनन्तरम्॥१२- १२॥ बिनु जानी मर्म अभ्यास कियौ, तस ज्ञान सों ज्ञान परोक्ष भल्यो। मम ध्यान धरै यहि तासों भल्यो निष्काम करम, अति श्रेय भल्यो।। अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्रः करुण एव च। निर्ममो निरहंकारः समदुःखसुखः क्षमी॥१२- १३॥ जिन द्वेशन स्वारथ हीन भये, ममता और अहम विहीन भये, सुख दुखन प्रीति प्रतीति नाहीं, तिन मोरे ध्यान विलीन भये।। …

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वैदिक युग में स्त्रियाँ भी यज्ञोपवीत घारण करती थी

वेदों में उल्लिखित कुछ मंत्र इस बात को रेखांकित करते है कि कुमारियों के लिए शिक्षा अपरिहार्य एवं महत्वपूर्ण मानी जाती थी। स्त्रियों को लौकिक एवं आध्यात्मिक दोनों प्रकार की शिक्षाएँ दी जाती थी। सहशिक्षा को बूरा नहीं समझा जाता था। गोभिल गृहसूत्र में कहा गया है कि अशिक्षित पत्नी यज्ञ करने में समर्थ नहीं …

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प्राचीनकाल में नारियां भी शास्त्रार्थ में भाग लेती

भारत में गुरुकुल शिक्षा पद्धति की बहुत लंबी परंपरा रही है। विद्यार्थी गुरुकुल में विद्या अध्ययन करते थे। तपोस्थली में सभा, सम्मेलन और प्रवचन होते थे जबकि परिषद में विशेषज्ञों द्वारा शिक्षा दी जाती थी। प्राचीनकाल में धौम्य, च्यवन ऋषि, द्रोणाचार्य, सांदीपनि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, वाल्मीकि, गौतम, भारद्वाज आदि ऋषियों के आश्रम प्रसिद्ध रहे। बौद्धकाल में …

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