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वैष्णव मैरिज ब्यूरो-चतुः संप्रदाय

।। श्रीराममंत्र परम्परा ।।

सम्पूर्ण लोकों के कल्याण की भावना से भगवन श्रीराम ने समस्त स्वर्ग और बैकुण्ठों से परे विशिष्ट साकेतधाम में सर्व प्रथम श्रीसम्प्रदाय रहस्यमय श्रीराम मन्त्र का उपदेश सर्वलोक पराम्बा श्रीसीताजी को दिया।

।। श्रीसीताजी ।।
करुणामयी दायस्वरुपा जगस्वरुपा जगत्जननी श्रीसीताजी जो सम्पूर्ण लोकों की श्रियों की श्रीजी हैं उन्होनें श्रीरामतारक मंत्र को प्राप्तकर अपने परमभक्त श्रीरामचर्णानुरागी श्रीहनुमानजी को वह मन्त्रोपदेश दिया।
।। श्रीहनुमानजी ।।
भक्तराज श्रीहनुमानजी से वह सत्यलोक पावन श्रीराम मन्त्रराज श्रीब्रह्याजी को प्राप्त हुआ।
।। श्रीब्रह्माजी ।।
लोक पितमह श्रीब्रह्याजीने वह परम गोपनीय श्रीराममन्त्र अपने मानस पुत्र श्रीवशिष्ठजी को मन्त्रोपदेश दिया।
।। श्रीवशिष्ठजी ।।
रघुकुल पुरोहित श्रीवशिष्ठजी ने अपने पुत्र श्रीपाराशरजी को वह षड़ाक्षर श्रीराम मन्त्र का पवित्र उपदेश दिया।
।। श्रीपराशरजी ।।
श्रीपाराशरजी ने श्री वेदव्यासजी को वह सर्वोपरी श्रीराममन्त्र की अति उत्तम दीक्षा दी।
।। श्रीवेदव्यासजी ।।
सत्यवती नन्दन श्रीवेदव्यासजी ने श्रीपरम्हंस श्रीशुकदेवजी को वह कलि कलुषित जीवों का उद्धारक श्रीराम मन्त्रोंपदेश दिया।
।। श्रीशुकदेवजी ।।
अवधुत लोक पावन श्रीशुकदेवजी ने वह श्रीसम्प्रदाय वर्धक श्रीराम मन्त्रोपदेश
श्रीपुरुषोत्तमाचार्यजी को दिया। (भगवान श्री बोधायन)
।। श्रीपुरुषोत्तमाचार्यजी ।।
ब्रह्यसूत्र भाष्यकार श्रीपुरुषोत्तमाचार्य ने वह सर्वजीव कल्याणप्रद श्रीराम मंत्र श्रीगंगाधराचार्य को प्रदान किया।
।। श्रीगंगाधराचार्यजी ।।
श्रीगंगाधराचार्यजी ने वह त्रिभुवन पावन श्रीराम मंत्र श्रीसदाचार्यजी को प्रदान किया।
।। श्रीसदाचार्यजी ।।
श्रीसदाचार्यजी ने वैष्णवों का परम धन उस श्रीराम मंत्र की दीक्षा श्रीरामेश्वराचार्यजी को दी।
।। श्रीरामेश्वराचार्यजी ।।
श्रीरामेश्वराचार्यजी ने उस अतिउत्तम श्रीराम मंत्र की दीक्षा श्रीद्वारानन्दाचार्यजी को दी।
।। श्रीद्वारानन्दाचार्यजी ।।
श्रीद्वारानन्दाचार्यजी ने वह परात्परब्रह्य स्वरुप श्रीराम मंत्र श्रीदेवानन्दाचार्यजी को दिया।
।। श्रीदेवानन्दाचार्यजी ।।
श्रीदेवानन्दाचार्यजी ने वह अधमोद्धारक श्रीराम मंत्र श्रीश्यामानन्दाचार्यजी को दिया।
।। श्रीश्यामानन्दाचार्यजी ।।
श्रीश्यामानन्दाचार्यजी ने वह श्रीसीताजी प्रद श्रीराम मंत्र श्रीश्रुतानन्दाचार्यजी को दिया।
।। श्रीश्रुतानन्दाचार्यजी ।।
श्रीश्रुतानन्दाचार्यजी ने वह अधनाशक श्रीराममंत्र श्रीचिदानन्दाचार्यजी को दिया।
।। श्रीचिदानन्दाचार्यजी ।।
श्रीचिदानन्दाचार्यजी ने वह श्रीरामविग्रह श्रीराममंत्र श्रीपूर्णानन्दाचार्यजी को दिया।
।। श्रीपूर्णानन्दाचार्यजी ।।
श्रीपूर्णानन्दाचार्यजी ने वह श्रीरामभक्ति पौषक श्रीराममन्त्र श्रीश्रियानन्दाचार्यजी को दिया।
।। श्रीश्रियानन्दाचार्यजी ।।
श्रीश्रियानन्दाचार्यजी ने वह शरणागत रक्षक श्रीराम मन्त्र श्री हर्यानन्दाचार्यजी को दिया।
।। श्रीहर्यानन्दाचार्यजी ।।
श्रीहर्यानन्दाचार्यजी ने वह साकेतधाम प्रदाता श्रीराममंत्र श्रीराघवानन्दाचार्यजी को दिया।
।। श्रीराघवानन्दाचार्यजी ।।
श्रीराघवानन्दाचार्यजी ने वह विशिष्टाद्वैत सिद्धान्त पालक श्रीराम मंत्र यतिराज श्रीराममानन्दाचार्यजी को दिया।
।। श्रीरामानन्दाचार्यजी ।।
आनन्दभाष्यकार श्रीरामानन्दाचार्यजी से वह सर्वविजयी श्रीराम मंत्र मुख्य रुप से 12 शिष्यों ने प्राप्त किया वे प्रमुख शिष्य निम्नानुसार थे:-

1-संत श्री अनंतानंदजी, 2-संत श्री सुखानंदजी, 3-संत श्री सुरासुरानंदजी, 4-संत श्री नरहरीयानंदजी, 5-संत श्री योगानंदजी, 6-संत श्री पिपानंदजी, 7-संत श्री कबीरदासजी, 8-संत श्री सेजान्हावीजी, 9-संत श्री धन्नादासजी, 10-संत श्री रविदासजी, 11-संत श्री पद्मावतीजी और 12-संत श्री सुरसरीजी । ।

संकलनकर्ता- मुकेश रामावत, खोजीजी वैष्णव राघव सरकार शोध संस्थान, जालोर राजस्थान

mo. 91 97838.54079

(उपयोगी सुझाव सादर अमंत्रित है)

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